टोंक शहर में शराब माफियाओं के हौंसले बुलन्द, एमआरपी से अधिक दामों पर बेच रहे शराब मंथली का कमाल, आबकारी महकमे की मिलीभगत से कर रहे मनमानी, प्रशासन स्लीप मोड पर

 टोंक शहर में शराब माफियाओं के हौंसले बुलन्द, एमआरपी से अधिक दामों पर बेच रहे शराब

मंथली का कमाल, आबकारी महकमे की मिलीभगत से कर रहे मनमानी, प्रशासन स्लीप मोड पर


टोंक (सच्चा सागर)। मुकम्मल तौर पर टोंक शहर का सड़ा-गला आबकारी सिस्टम भ्रष्टाचार के दलदल में पूरी तरह धंस चुका है। अराजकता का आलम यह है कि ना तो शासन- प्रशासन आबकारी विभाग की पुख्ता मॉनिटरिंग कर पा रहा है और ना ही शराब माफियाओं की कथित मनमानियों पर नकेल कसी जा रही है। जानकारी के अनुसार टोंक शहर में देशी-अंग्रेजी मदिरा की लगभग 21 कंपोजिट दुकानें स्थित हैं। खोटे आबकारी बंदोबस्त के अभाव में अंधेर नगरी- चौपट राजा वाली कहावत पूरी तरह से चरितार्थ हो रही है। कमोबेश सभी शराब माफिया नियम, कायदों और कानून को अपने पैरों तले रौंदकर जमकर चांदी कूट रहे हैं। ठेकेदारों द्वारा खुलेआम सरकार द्वारा जारी गाइड लाईन की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

शहर में रात 8 बजे बाद भी धड़ल्ले से बिक रही है शराब 

सरकार द्वारा जारी गाईड लाइन के मुताबिक लाइसेंस धारक ठेकेदार प्रात: 10.00 बजे से रात्रि 8.00 बजे तक वैध शराब की बिक्री का समय निर्धारित है। इस सन्दर्भ में जब पड़ताल की गई तो पता चला कि शराब की दुकानों के शटर में एक गुप्त आयताकार छोटा सा छेद रखा जाता है। रात 8.00 बजे बाद शटर को नीचे कर अन्दर बैठे सेल्समैन द्वारा अधिक दामों पर ब्लैक से शराब की सप्लाई की जाती है। यानी बाहर से आवाज लगाइए, पैसे दीजिए और शराब आपके हाथ में। कई ठेकेदार तो दुकान के आसपास अपने आदमी भी खड़े रखते हैं। आप उनसे निगाहें मिलाइए, पैसे दीजिए। बन्दा शर्ट के नीचे दबाकर क्वार्टर, हाफ या बोतल लेकर फौरन हाजिर हो जाएगा। कई दुकानों की दीवार में भी चोर दरवाजे रखे जाते हैं, जहां से ये गुप्त कारोबार देर रात तक चलता रहता है।

बिक्री बढ़ाने के लिए दुकानों में बिठाकर लोगों को पिलाते हैं शराब 

बिक्री बढ़ाने की गरज से लाइसेंस धारक दुकानों के अन्दर बिठाकर पियक्कड़ों को शराब परोसी जाती है। जहां से पीकर निकले शराबियों की वजह से दुकानों के इर्द-गिर्द रहने वाले लोगों और राहगीरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शराबियों की वजह से दुकानों के आसपास आए दिन झगड़े, फसाद और उत्पात की नौबत बनी रहती है। आती-जाती महिलाओं पर भी फब्तियां कसने की संभावना बनी रहती है। ये बात आबकारी निरीक्षकों की जानकारी में होने के बावजूद वे मंथली की वजह से चुप रहते हैं। वैसे भी दुकानों में बिठाकर लोगों को शराब पिलाना नियम विरुद्ध है।

एमआरपी से अधिक दामों पर बेच रहे हैं शराब, दुकानों के बाहर रेट लिस्ट चस्पा नहीं 

नियमानुसार अनुज्ञाधारी दुकानें ग्राहकों से प्रिंटेड एमआरपी से अधिक राशि वसूल नहीं कर वसूल सकती। इसके बावजूद सेल्समैन हर ब्रांड पर राउंड फीगर में 10, 20 या 30 रुपए अधिक वसूल कर ग्राहकों की जेबें कतर रहे हैं। सेल्समैनों से बहस करने पर वो ठेकेदारों के ऑर्डर और मंथली का हवाला देते नजर आते हैं। मिलीभगत की वजह से किसी भी दुकान के बाहर रेट लिस्टें चस्पा नहीं है, जिसकी वजह से मनमाने दाम वसूलने का गोरखधंधा जारी है। नियमों का हवाला देने पर ग्राहकों के साथ बदसलूकी की जाती है। नियमानुसार हर दुकान के बाहर प्रिंटेड एमआरपी का फ्लैक्स लगा हुआ होना चाहिए ताकि लोगों को राहत मिल सके।

शहर में ड्राई- डे के दिन भी खुलेआम बेची जाती है शराब, पुरानी दरों की शराब बेच रहे अधिक दामों पर 

सरकार द्वारा घोषित ड्राई- डे पर शराब की बिक्री प्रतिबंधित होती है। ड्राई- डे ऐसा दिन होता है, जब पूरे राज्य में शराब की बिक्री पर रोक लगा दी जाती है। आम तौर पर शुष्क दिवस विशेष त्यौहारों, राष्ट्रीय दिवसों या चुनावों के दौरान घोषित किया जाता है। किन्तु, शहर में ड्राई- डे होने के बावजूद शराब की बिक्री बेरोकटोक जारी रहती है। शहर के कई इलाकों में नियमों को दरकिनार करते हुए शराब की दुकानों पर धड़ल्ले से शराब बेची जाती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ड्राई-डे तो केवल नाम मात्र का रह गया है। ठेकेदारों को ना तो पुलिस का डर है और ना ही आबकारी विभाग की परवाह। उन्हें पहले से ही जानकारी होती है कि कहां और किस तरह से जांच होगी, जिसके चलते वे नियमों की धज्जियां उड़ाने से कभी नहीं चूकते। गौरतलब है कि दुकानों के नवीनीकरण के बाद सभी अनुज्ञाधारी 1 अप्रैल से ही पुरानी दरों की शराब, नई रेटें बताकर अधिक कीमत वसूल कर रहे हैं, जिन्हें रोकने-टोकने वाला कोई नहीं।

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